Thursday, October 22, 2015

अनंत की ओर.............!!

क्या अंत है कहीं.....
इंसान की तमन्नाओं का !
न जाने क्यों, बढ़ती जाती है,
और जीने की तमन्ना
बढ़ती हुई उम्र के साथ-साथ....!!

Monday, November 10, 2014

तीन आसन, जो कम करें आपकी पेट की चर्बी


१. भुजंगासन
इस आसन से न सिर्फ पेट की चर्बी कम होती है बल्कि बाजुओं, कमर और पेट की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है और शरीर लचीला बनता है।
विधि: 
- पहले पेट के बल सीधा लेट जाएं और दोनों हाथों को माथे के नीचे टिकाएं।
- दोनों पैरों के पंजों को साथ रखें।
- अब माथे को सामने की ओर उठाएं और दोनों बाजुओं को कंधों के समानांतर रखें जिससे शरीर का भार बाजुओं पर पड़े।
- अब शरीर के अग्रभाग को बाजुओं के सहारे उठाएं।
- शरीर को स्ट्रेच करें और लंबी सांस लें।
- कुछ सेकंड इसी अवस्था में रहने के बाद वापस पेट के बल लेट जाएं।
 

2. बलासन
बलासन उन लोगों के लिए परफेक्ट आसन है जिन्होंने योगासन की शुरुआत की हो। इससे पेट की चर्बी भी कम होती है और मांसपेशियां मजबूत होती हैं। गर्भवती महिलाएं या घुटने के रोग से पीड़ित लोग इसे न करें। 
विधि:
- घुटने के बल जमीन पर बैठ जाएं जिससे शरीर का सारा भाग एड़ियों पर हो।
- गहरी सांस लेते हुए आगे की ओर झुकें।
- आपका सीना जांघों से छूना चाहिए और माथे से फर्श छूने की कोशिश करें।
- कुछ सेकंड इस अवस्था में रहने के बाद सांस छोड़ते हुए वापस उसी अवस्था में आ जाएं।
३. पश्चिमोत्तानासन
पश्चिमोत्तानासन पेट बी चर्बी कम करने के लिए बेहद आसान और प्रभावी आसन है। 
विधि:  
- सबसे पहले सीधा बैठ जाएं और दोनों पैरों को सामने की ओर सटाकर सीधा फैलाएं।
- दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठाएं और कमर को बिल्कुल सीधा रखें।
 
- फिर झुककर दोनों हाथों से पैरों के दोनों अंगूठे पकड़ने की कोशिश करें। ध्यान रहे इस दौरान आपके घुटने न मुड़ें और न ही आपके पैर जमीन से ऊपर उठें।
- कुछ सेकंड इस अवस्था में रहने के बाद वापस सामान्य अवस्था में आ जाएं।
 

इन योगासनों को अगर आप नियमित रूप से करेंगे तो तोंद कम करना आपके लिए बहुत आसान हो जाएगा।


Saturday, April 13, 2013

एक सुबह मेरी भी..........!!


उठते ही सुबह-सुबह, एक ही बात मन में आए !
हे भगवन, आज तो कही कोई काम मिल जाए !!

वरना, आज का दिन भी क्या पता कल जैसा ही चला जाएगा !
कल ही भूखा सोया था मुन्ना, आज भी कही वैसे ही सो जाएगा !!

मन में तो उठती है, आज भी बड़ी उमंग !
रहूँ खुशियों से भरपूर, मै भी सभी के संग !!

शून्य से रहा सदैव, मेरा बहुत निकट का नाता !
जब देखो तब, बेचारा बिन बुलाए है चला आता !!

किसी की सुबह, तो  होती है किसी और की शाम !
कुछ इसी तरह तो यारों, होती ये जिन्दगी तमाम !!

Sunday, February 10, 2013

जो है, सो है.........!!



जो है, मेरे जेहन में !
वही है, मेरे लेखन में !!

अच्छे बुरे की पहचान नहीं !
सच्चे झूठे का भी ज्ञान नहीं !!

छुपा नहीं पाता, दिल में आई बात को !
झुठलाता मै नहीं कभी, दिन और रात को !!

किसी के कहने से दिन को रात कहता नहीं !
अपनी बात कहने से फिर कभी मै डरता नहीं !!

कहूँगा हमेशा मै वही, जो मुझे कहना है !
नहीं किसी के डर से, मुझे चुप रहना है !!

लगे भले किसी को अच्छी या फिर बुरी !
कहूँगा लेकिन फिर भी, बात पूरी खरी !!

ले जाएँगा भला कौन किसी को, कहाँ से कहाँ !
जाना तो है छोड़ अंत दिन, अपना ये भी जहाँ !!

Tuesday, January 8, 2013

कासे कहूँ.....!!


देखता  हूँ 
रातों में 
जब तारों को !
सोचता हूँ 
तुम भी तो 
देखती होगी 
इन्ही तारों को !!

मिलन करती होगी 
मेरी और तुम्हारी दृष्टी 
उन तारों पर !
और, सुनाती होगी 
एक दूसरे को अपना 
मूक सन्देश !!

कितने भाग्यवान है,
ये तारे भी 
जो देख पाते है 
तुम्हें भी और 
मुझे भी !   
पर  कैसे अभागे 
है, हम दोनों 
जो नहीं देख पाते 
केवल, एक-दूसरे को !!      

Sunday, September 23, 2012

कैसी ये दुनियादारी.........?


गर , चाहते   हो  तुम भी गुजारना हसीं  बुढ़ापा ! 
छोड़ो दुनियादारी, मत खोयो कभी अपना  आपा !!

ना देना भूले से भी किसी को उपदेश 
और ना ही देना , बिन माँगी सलाह !
रहो अपने ही घर में, बन कर मेहमान, 
चुन ही लेंगे सब अपनी-अपनी राह !!

नहीं मानता जब कोई, तेरी बात !
क्यों बैठे सोचा करता,यूँ पूरी रात !!
भले, आज लगती हो तेरी बातें उनको बकवास !
सुनने में भी नहीं आती वो, किसी को कुछ रास !!
अनुभवों क़े बोल वैसे भी पहले लगते ही है, कडवे !
पड़ती है जब एक बार, हसीं लगते तब अपने दड्बें !!
वक़्त क़े साथ-साथ वो भी, कभी तो सुधर जायेंगे !
आयेंगे लौट कर यहीं, वरना फिर किधर जायेंगे !!

Friday, May 11, 2012

सच ही तो है.............!!


गर, करनी हो साठ साल तक ऐश
तो जीवन के छह साल मेहनत करना सीख !
वरना, छह साल तक कर ले बस ऐश
और माँगता रह, फिर साठ साल तक भीख !!

याद आती है आज फिर तन्हाइयों में,
कही हुई बड़ों की वो वक्ती कड़वी बातें !
सुनते ही जिन्हें, उस वक्त पर
खौल उठती थी शरीर की सभी आंतें !!

जल-सा जाता था, शरीर का एक-एक रोआं
लगता था, कहीं ये दुश्मन तो नहीं हमारे !
मान जाते गर समय रहते बात उनकी
तो आज हो जाते हमारे भी वारे-न्यारे !!

जीवन के कुछ वर्षों का अपना ही महत्त्व होता है !
जिसने उन्हें खो दिया वह तो जीवन भर रोता है !!