अपने आप पर,
अपने आप क़े द्वारा
लगाया गया बंधन !
किन्तु सभी में है,
"स्व " की जकड़न !!
सिर्फ हमारी परम्पराओ,
का है ये जायफल !
अथवा
दीर्घकालीन संस्कारो
से मिला हुआ फल !
नहीं जानता क्या मेरे पास,
आया जब इस संसार में !
ये दिल, ये दिमाग,
ये स्वभाव, ये अभाव
शायद आते गए,
समय क़े साथ-साथ
या फिर अपने-आप !!
हम/हमारा मस्तिष्क
भारतीय दिमाग
भूत से/वर्तमान तक
अभी भी /आज तक
अनधीनता का न कर विचार
स्वाधीनता का रूप करता स्वीकार
क्या हम कभी इस
बंधन को तोड़ सकेंगे
अथवा अपने ही आधीन
रहते रहेंगे.....!!
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