Sunday, May 8, 2011

भूल जा ........!!


जानती हूँ मै,
मानती हूँ मै ,
तू भी आज तड़पता होगा !
हर दिन से ज्यादा,
आज और कलपता होगा !!
देता होगा मुझे तू.. सौ सौ गालियाँ,
औरो की तरह ही कोसता होगा !!

बरसो मैंने भी छानी है खाक,
हर कचरे क़े ढेर में...
दिखाई देते थे केवल अपने ही पाप
दिखता केवल तुम्हारा ही चेहरा
लेकिन क्या मै पापिन थी,
कौन कर पाया आज तक
फैसला किसी क़े भी हक़ में  !
दुनिया का क्या है,
वह तो कहती रहती है,
कुछ होने पर \
कुछ न होने पर भी !!

देना चाहती थी,
प्यार-दुलार मै भी
बन कर एक सम्पूर्ण माँ ...
नियति ही शायद ख़राब थी
या फिर दोष केवल मेरी किस्मत का !!

(मातृ दिवस क़े अवसर पर एक माँ का निवेदन .....!)

Saturday, May 7, 2011

लो आ गई उनकी याद .....!!

बात है यह कम से कम कोई तीस वर्ष पुरानी !
हकीकत बन गई है आज, केवल एक कहानी !!

पहले रातो को मद-मस्त होकर जब  घर आता !
सब अपना लगता, डर नहीं था बिलकुल समाता !!

माँ खोलती दरवाजा आहिस्ते - आहिस्ते !
जाग ना जाये कही पिताजी क़े फरिस्ते !!

माँ ने नहीं कहा कभी भी हमसे एक भी बात !
दिनचर्या चलती रहती ठीक, दिन हो या रात !!

हम समझते रहे ख़ुद को बहुत ही  होशियार और लायक !
माँ ने भी आज तक कभी नहीं पुकारा कह कर नालायक !!

विवाहोपरांत जब पहली बार हुए हम फिर मद-मस्त !
पत्नी ने कर दिए हमारे सारे हौसले बुरी तरह से पस्त  !!

तब जाकर समझ में आया, माँ केवल माँ होती है !
रोते तो सब है दुनिया में, दिल से केवल  माँ रोती है !!