Tuesday, January 8, 2013

कासे कहूँ.....!!


देखता  हूँ 
रातों में 
जब तारों को !
सोचता हूँ 
तुम भी तो 
देखती होगी 
इन्ही तारों को !!

मिलन करती होगी 
मेरी और तुम्हारी दृष्टी 
उन तारों पर !
और, सुनाती होगी 
एक दूसरे को अपना 
मूक सन्देश !!

कितने भाग्यवान है,
ये तारे भी 
जो देख पाते है 
तुम्हें भी और 
मुझे भी !   
पर  कैसे अभागे 
है, हम दोनों 
जो नहीं देख पाते 
केवल, एक-दूसरे को !!