Sunday, July 17, 2011

ख्वाबों का पेड़

बहुत  मशहूर  हुए  हम
तुम्हारे  नाम  क़े  कारण !
आज तुम्ही ने मुख मोड़ा
क्यों कर लिया मौन धारण !!

ख्वाबों का पेड़ मुरझा गया
वीरान  हो  गई हर  डाली !
बीते हुए अतीत की आखिर
कब तक करू मै रखवाली !!

वेदनाओं का पिटारा अब
मेरा अपना मीत बन गया !
सो नैया को मैंने स्वयं ही
तूफान की ओर मोड़ दिया !!

तन्हाई में, पवन में
मेरा दर्द है  लहराता !
मै तो बस अन्दर ही
घुट  कर  रह  जाता !!

अम्बर को  या  धरती को

किसे अपनी व्यथा सुनाये !
जब  तार ही  टूट  गया
मोती हम कैसे पिरोये !!

Saturday, July 2, 2011

दायरा समय का.....!!

समझाया करती थी माँ बचपन में लाख !
बेटा, वक़्त रहते  बना ले तू अपनी साख !!

पर,कही हुई बातें सिर पर से गुजर जाती !
काश, वो बातें तब ही समझ में आ पाती !!

बनकर बाप, आज जब बच्चे को समझाता ! 
बार-बार माँ का ही चेहरा सामने आ जाता !!

काश, माँ तेरी कही बातें वक़्त रहते समझ जाता !
आज फिर क्यों इस तरह अपने दिल को तडफाता !!

जिसकी गुजरनी थी जैसी, उसकी तो वैसी गुजर गई !
सोच लो मेरे भैय्या, तुम्हारी है अभी बारी नई-नई !!