बात है यह कम से कम कोई तीस वर्ष पुरानी !
हकीकत बन गई है आज, केवल एक कहानी !!
पहले रातो को मद-मस्त होकर जब घर आता !
सब अपना लगता, डर नहीं था बिलकुल समाता !!
माँ खोलती दरवाजा आहिस्ते - आहिस्ते !
जाग ना जाये कही पिताजी क़े फरिस्ते !!
माँ ने नहीं कहा कभी भी हमसे एक भी बात !
दिनचर्या चलती रहती ठीक, दिन हो या रात !!
हम समझते रहे ख़ुद को बहुत ही होशियार और लायक !
माँ ने भी आज तक कभी नहीं पुकारा कह कर नालायक !!
विवाहोपरांत जब पहली बार हुए हम फिर मद-मस्त !
पत्नी ने कर दिए हमारे सारे हौसले बुरी तरह से पस्त !!
तब जाकर समझ में आया, माँ केवल माँ होती है !
रोते तो सब है दुनिया में, दिल से केवल माँ रोती है !!
हकीकत बन गई है आज, केवल एक कहानी !!
पहले रातो को मद-मस्त होकर जब घर आता !
सब अपना लगता, डर नहीं था बिलकुल समाता !!
माँ खोलती दरवाजा आहिस्ते - आहिस्ते !
जाग ना जाये कही पिताजी क़े फरिस्ते !!
माँ ने नहीं कहा कभी भी हमसे एक भी बात !
दिनचर्या चलती रहती ठीक, दिन हो या रात !!
हम समझते रहे ख़ुद को बहुत ही होशियार और लायक !
माँ ने भी आज तक कभी नहीं पुकारा कह कर नालायक !!
विवाहोपरांत जब पहली बार हुए हम फिर मद-मस्त !
पत्नी ने कर दिए हमारे सारे हौसले बुरी तरह से पस्त !!
तब जाकर समझ में आया, माँ केवल माँ होती है !
रोते तो सब है दुनिया में, दिल से केवल माँ रोती है !!
रोते तो सब है दुनिया में, दिल से केवल माँ रोती है !! kya bat hai ...bahut gahre bhav..
ReplyDeletebahut hi marmik rachna.........!!
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