Monday, April 11, 2011

आजादी.....


अपने आप पर, 
अपने आप क़े द्वारा 
लगाया गया बंधन !
किन्तु सभी में है, 
"स्व " की जकड़न !!

सिर्फ हमारी परम्पराओ, 
का है ये जायफल !
अथवा 
दीर्घकालीन संस्कारो 
से मिला हुआ फल !

नहीं जानता क्या मेरे पास, 
आया जब इस संसार में !
ये दिल, ये दिमाग, 
ये स्वभाव, ये अभाव
शायद आते गए, 
समय क़े साथ-साथ 
या फिर अपने-आप !!

हम/हमारा मस्तिष्क 
भारतीय दिमाग 
भूत से/वर्तमान तक 
अभी भी /आज तक 
अनधीनता का न कर विचार 
स्वाधीनता का रूप करता स्वीकार 

क्या हम कभी इस 
बंधन को तोड़ सकेंगे 
अथवा अपने ही आधीन 
रहते रहेंगे.....!!

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