वे, बार बार किये जा रहे थे, स्टेटस को अपडेट...!
बेचारे परेशां थे, किसी ने न दिया कोई कमेन्ट...!!
हमने उन्हें धीरज दिलाया ....!
खुशफहमी में जीना सिखलाया...!!
कमेन्ट लिखना भी है, एक आर्ट..!
हर कोई नहीं होता उतना स्मार्ट..!!
कमेन्ट नहीं लिखे जाते, केवल लिखने क़े लिए...!
बल्कि लिखे जाते है बात को आगे बढ़ाने क़े लिए....!!
कमेन्ट क़े लिए आवश्यक है एक चिंतन !
समयानुकूल एक.. गहरा आत्म-मंथन !!
यह नहीं है, कोई "लाईक" क्लिक की बटन
कि जब चाहा दबा दी....!!
कमेन्ट लिखना भी एक कला है /सही बात है /
ReplyDeleteआलोचना तो और भी कठिन ....
आप बधाई के पात्र है बड़े भाई
आपको नमन
बिलकुल सही बात कही दिनेश जी.
ReplyDeleteकभी यहाँ भी आयें-
http://jomeramankahe.blogspot.com
सादर
shaandar dinesh ji
ReplyDeleteआजी इतनी मेहनत से करे गर कोई पोस्ट....वाजिब है करे वो इंतजार करे कमेन्ट,...
ReplyDeleteबात में दम है दिनेश जी,
ReplyDeleteयूं ही नहीं लिखा जाता कमेंट
लाइक जैसा बटन नहीं है ये
जरूरी है सिर्फ कमिटमेंट
कैसा लगा बताने की जरूरत नहीं है, बस तुकबंदी कर डाली. वो पेपर की हेडिंग बनाते बनाते आदत पड़ गई है. वाकई अच्छा ब्लाग है.
कुछ न भी करते तो हम क्या कर लेते !
ReplyDeleteकुछ तो कहा होता,
कम से कम हम संतोष तो कर लेते !!