Saturday, May 7, 2011

लो आ गई उनकी याद .....!!

बात है यह कम से कम कोई तीस वर्ष पुरानी !
हकीकत बन गई है आज, केवल एक कहानी !!

पहले रातो को मद-मस्त होकर जब  घर आता !
सब अपना लगता, डर नहीं था बिलकुल समाता !!

माँ खोलती दरवाजा आहिस्ते - आहिस्ते !
जाग ना जाये कही पिताजी क़े फरिस्ते !!

माँ ने नहीं कहा कभी भी हमसे एक भी बात !
दिनचर्या चलती रहती ठीक, दिन हो या रात !!

हम समझते रहे ख़ुद को बहुत ही  होशियार और लायक !
माँ ने भी आज तक कभी नहीं पुकारा कह कर नालायक !!

विवाहोपरांत जब पहली बार हुए हम फिर मद-मस्त !
पत्नी ने कर दिए हमारे सारे हौसले बुरी तरह से पस्त  !!

तब जाकर समझ में आया, माँ केवल माँ होती है !
रोते तो सब है दुनिया में, दिल से केवल  माँ रोती है !!

2 comments:

  1. रोते तो सब है दुनिया में, दिल से केवल माँ रोती है !! kya bat hai ...bahut gahre bhav..

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  2. bahut hi marmik rachna.........!!

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