देखता हूँ
रातों में
जब तारों को !
सोचता हूँ
तुम भी तो
देखती होगी
इन्ही तारों को !!
मिलन करती होगी
मेरी और तुम्हारी दृष्टी
उन तारों पर !
और, सुनाती होगी
एक दूसरे को अपना
मूक सन्देश !!
कितने भाग्यवान है,
ये तारे भी
जो देख पाते है
तुम्हें भी और
मुझे भी !
पर कैसे अभागे
है, हम दोनों
जो नहीं देख पाते
केवल, एक-दूसरे को !!
No comments:
Post a Comment