जो है, मेरे जेहन
में !
वही है, मेरे लेखन
में !!
अच्छे बुरे की
पहचान नहीं !
सच्चे झूठे का भी
ज्ञान नहीं !!
छुपा नहीं पाता,
दिल में आई बात को !
झुठलाता मै नहीं
कभी, दिन और रात को !!
किसी के कहने से
दिन को रात कहता नहीं !
अपनी बात कहने से
फिर कभी मै डरता नहीं !!
कहूँगा हमेशा मै
वही, जो मुझे कहना है !
नहीं किसी के डर
से, मुझे चुप रहना है !!
लगे भले किसी को
अच्छी या फिर बुरी !
कहूँगा लेकिन फिर
भी, बात पूरी खरी !!
ले जाएँगा भला कौन
किसी को, कहाँ से कहाँ !
जाना तो है छोड़ अंत दिन, अपना ये भी जहाँ !!
जाना तो है छोड़ अंत दिन, अपना ये भी जहाँ !!
वाह
ReplyDeleteबहुत सुंदर
बहुत सुन्दर ...
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