गर, करनी हो साठ साल तक ऐश
तो जीवन के छह साल मेहनत करना सीख !
वरना, छह साल तक कर ले बस ऐश
और माँगता रह, फिर साठ साल तक भीख !!
याद आती है आज फिर तन्हाइयों में,
कही हुई बड़ों की वो वक्ती कड़वी बातें !
सुनते ही जिन्हें, उस वक्त पर
खौल उठती थी शरीर की सभी आंतें !!
जल-सा जाता था, शरीर का एक-एक रोआं
लगता था, कहीं ये दुश्मन तो नहीं हमारे !
मान जाते गर समय रहते बात उनकी
तो आज हो जाते हमारे भी वारे-न्यारे !!
जीवन के कुछ वर्षों का अपना ही महत्त्व होता है !
जिसने उन्हें खो दिया वह तो जीवन भर रोता है !!
और माँगता रह, फिर साठ साल तक भीख !!
ReplyDeleteसचमुच एक शानदार सीख.....
सार्थक रचना