Wednesday, February 2, 2011

एह्सास ....!



(1)


भागता जाता हूँ

भाग रहा हूँ ....

कभी कमाने क़े लिए ...!

कभी पचाने क़े लिए...!!


(2)

भागते चले गए,

आगे बढ़ने की चाह में ....!

पलट कर भी न देखा ,

क्या मिला आये हम खाक में ....!!


(3)

भागते....भागते थक गया

न जाने कैसे खो गया

आँख खुली , कुछ न नज़र आया

साथ छोड़ गया अपना ही साया ...?


2 comments:

  1. बहुत ही भाव पूर्ण अभिव्यक्ति ..इस भागम भाग में हमारी संवेदनाएं
    जड़ हो गयी हैं ..कहाँ खो गए हम..?? कोटि कोटि अभिनन्दन !!!

    ReplyDelete