Sunday, January 9, 2011

कवि......!

ज्यादा कहने की आदत नहीं,
फिर भी कहता चला जाता है !
बात बने या ना बने ,
कोशिश कर बनाता चला जाता है !!
बनने को तो सभी, 
कवि बन जाते है !
लेकिन ,
रवि तो दूर ; किरण तक 
भी नहीं पहुच पाते है !!
नई धारा चलाने की 
उनकी चाह है निराली !
भारत की है  चाय  
और, इग्लैंड की प्याली !!
वे तो करते है महज 
इतने ही काम  ! 
कुछ कोरे पन्नो पर 
लिख जाते है ; बस 
अपने ही नाम !!

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