Wednesday, January 19, 2011

ज्ञान की देवी

संगमरमरी बाहे उसकी
तन फूलो की ड़ाल !

नैन उसके जादू भरे
मुख चाँदी की थाल !

कुंदन जैसे ओंठ रसिले
रेशम जैसे बाल !

चंदा-सूरज छुप जाय
देख क़े गोरे गाल !

उसके दर्प की माया से
आँखे है लालो-लाल !

बहती नदिया को शर्माए
मस्त पवन की चाल !

सुंदर सुंदर गीत मिलन क़े
मधुर -मधुर सुरताल !

वसंत पग पग नाचे
मौसम खेले हाल !

वह मेरे ज्ञान की देवी
मै उसका महिपाल !

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