Friday, January 7, 2011

फेसबुक-मंथन


एक ज़माने में हर गाँव में होती थी चौपाल !
जिसमे हर कोई रखते अपने-अपने ख्याल !!
सब लोग होते थे आमने- सामने !
और खूब चला करती थी तीर-कमाने !!

सब कोई मिलकर हंसी-मजाक  करते !
पर कोई अपनी सीमाये कभी न लांघते !!

फेस-बुक भी है चौपाल का आधुनिक रूप ! 
हम क्यों करे इसे इतना विभ्त्सव कुरूप !!

अगर हम स्वयं ही कर ले आत्म-मंथन !
तो फिर करना क्यों पड़े फेसबुक-मंथन !!  

4 comments:

  1. कुल सटीक बात कही.

    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं.

    सादर

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  2. जहा तक फेसबुक-मंथन का प्रश्न है,
    एक नितांत जरुरी यथार्थ है !
    वरना कभी भी,कुछ भी,किसी को भी
    कहने और लिखने में क्या अर्थ है !!

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  3. बेहतरीन प्रस्तुती....!!

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  4. बेहतरीन सटीक बात....!!

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