इंसानों की बस्ती में इंसानों से डर लगता है...
न जाने कैसे गिरगिट-सा रंग बदलने लगे है लोग ...!
ज़माने की चाल का अब ना रहा कोई ठिकाना...
अब तो अपने आप से घबराने लगे है लोग ...!
जब भी कहते है, घुमा-फिर कर ही कहते है....
न जाने सीधी बात कहने से क्यों डरने लगे है लोग ...!
ठिकाना तो बना क़े रखा है अपनों क़े दिल में....
न जाने क्यों झुक कर देखना भूलने लगे है लोग....!
भगवान पर एहसान जताने लगे है अब...
इमान - धरम भी अब दुकान से लेने लगे है लोग ..!
आज क़े माहौल से इतना भयभीत हो गया इंसान..
अपना चेहरा भी दिखाने से अब डरने लगे है लोग....!
सही है भाई /
ReplyDeleteलोग घुमा फिर कर ही बाते करते है
सुंदर विचार ....!
ReplyDelete१००% सत्य !!
ये लोग ......?
ReplyDeleteघुमा फिर कर ही बाते करते है....
Well said.