बिदाई की थी अनूठी घड़ी...!
द्वार पर डोली सजी थी खड़ी !!
माँ की सिसकिया थमने का नाम न ले रही थी !
बिटिया न जाने क्यों मंद मंद मुसक्या रही थी !!
माँ बोली -
बेटी कभी कोई गलत काम न करना !
मेरे दूध की तुम लाज रखना !!
बिटिया बोली -
माँ, तुम चिंता न करना !
जी अपना हलकान न करना !!
मै जिस घर में जाउगी
उस घर को स्वर्ग बना दूगी !
जाहिर है कि घर वालो को
स्वर्गवासी बना दूगी...!!
मिश्रा जी...बहुत ही सुन्दर ...हास्य रस से परिपूर्ण प्रस्तुती ..कोटि कोटि अभिनन्दन...
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