Friday, January 28, 2011

अभिलाषा जीवन की...!



जिन पत्थरो में मैंने खोजे थे कभी देवता,
उन्ही पत्थरो ने किया आज लहूलुहान मुझे...!!

जिन महलों पर राज किये बरसो बड़े शान से,
उन्ही महलों ने बना दिया आज दरबान मुझे !!

निगाहों से निगाहे मिलाकर बाते की थी जिनसे,
उन्ही निगाहों ने कर दिया अब शर्मवान मुझे !!

जिंदगी क़े बरसो वर्ष कर दिए कुर्बान जिन पर,
उन औलादों ने आज बना दिया कूड़ादान मुझे !!

जिन अकेली राहों पर चलता जा रहा हूँ अकेला,
वही राहे कर रही है मजबूत और बलवान मुझे !!

न कभी घबराया और न कभी घबराऊंगा, 
विश्वास है केवल वक़्त बनाएगा कर्मवान मुझे !!

1 comment:

  1. वास्तविकता का अनुपम वर्णन हैं

    जिंदगी क़े बरसो वर्ष कर दिए कुर्बान जिन पर,
    उन औलादों ने आज बना दिया कूड़ादान मुझे !!

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