Tuesday, January 11, 2011

आवाज दे रही....!!


चाँद की मोहक बगिया में 
खिल पड़े चमकते तारे !
झरना बह रहा झर-झर 
चहू ओर मस्त नज़ारे !
आओ, खो जाये अम्बर में 
आवाज दे हमें पंछी प्यारे !
मोह-माया को त्याग कर 
चले, नदी क़े उस किनारे !
हर साँस में खिल जायेगे 
अतृप्ति क़े निशा हमारे !

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