Wednesday, January 12, 2011

क्या करे अब....?




अपने ही हाथो से अपना घर जला दिया,
अब औरो क़े घर क़ी आग बुझा रहे है..!

खुद को पता नहीं अपनी गली का रास्ता,
भूलो को घर का रास्ता दिखा रहे है..!!


साकार ना हो सका स्वप्न झोपड़ी बनाने का,
सपनो में वे ही ताजमहल बना रहे है..!


कल ही तो ओले बरसे थे बस्ती में,
आज फिर से अपना सर मुडा रहे है..!!


पहले तो एक चिराग से बदला ले लिया,
अब सूरज को दीया दिखा रहे है..!

भगवान पर एहसान जताने लगे है,
इमान - धरम भी अब दुकान से ले रहे है..!!


5 comments:

  1. छोटी -छोटी बाते ...saargavit
    भगवान पर एहसान जताने लगे है,

    इमान - धरम भी अब दुकान से ले रहे है..!!

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